गोरखपुर AYUSH यूनिवर्सिटी अब Unani कॉलेजों को एकीकृत शिक्षा में शामिल करेगी

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उत्तर प्रदेश की महायोगी गुरु गोरखनाथ AYUSH यूनिवर्सिटी अब 10 Unani कॉलेजों को एकीकृत अकादमिक और परीक्षा फ्रेमवर्क में शामिल करेगी, साथ ही Yoga, Siddha और Sowa‑Rigpa जैसे सिस्टम भी जोड़ेगा। post

गोरखपुर स्थित महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष यूनिवर्सिटी ने पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के एकीकृत विकास की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए अब यूनानी चिकित्सा कॉलेजों को भी अपने अकादमिक फ्रेमवर्क में शामिल करने की योजना बनाई है। इस यूनिवर्सिटी का उद्घाटन 1 जुलाई 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा किया गया था और यह उत्तर प्रदेश में आयुष शिक्षा के लिए एक केन्द्रीय संस्थान के रूप में उभर रही है। वर्तमान में इस यूनिवर्सिटी से 98 कॉलेज संबद्ध हैं, जिनमें 76 आयुर्वेद, 10 यूनानी और 12 होम्योपैथी कॉलेज शामिल हैं।

 

नए शैक्षणिक सत्र से यूनानी कॉलेजों को न सिर्फ़ पाठ्यक्रम स्तर पर बल्कि परीक्षा, रिसर्च और प्रैक्टिकल क्लिनिकल फ्रेमवर्क में भी एकीकृत किया जाएगा। इसके साथ ही योग, सिद्ध, नेचुरोपैथी और सोवा-रिग्पा जैसी अन्य पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियाँ भी इस ढांचे का हिस्सा बनेंगी। इसका उद्देश्य पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को समग्र दृष्टिकोण से विकसित करना, छात्रों को आधुनिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ प्रशिक्षित करना, और सभी विधाओं को बराबरी का स्थान देना है।

 

राज्य सरकार और केंद्रीय आयुष मंत्रालय के अनुसार, इस यूनिवर्सिटी का विज़न केवल शिक्षा तक सीमित नहीं है बल्कि शोध, नवाचार और ग्रामीण स्वास्थ्य तक विस्तार करना है। यूनानी प्रणाली, जो अब तक सीमित दायरे में प्रचलित थी, अब अन्य विधाओं के साथ एक समान अकादमिक मंच पर स्थान पाएगी, जिससे न केवल छात्रों को लाभ मिलेगा बल्कि भारत में यूनानी चिकित्सा की साख को भी वैश्विक पहचान मिलेगी। यह पहल न केवल पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित करने में सहायक होगी, बल्कि उसे आधुनिक चिकित्सा शिक्षा प्रणाली में भी समाहित करने का सशक्त प्रयास है।