Siddha Central Research Institute, Chennai ने किया 11वां Doctors’ Day समारोह, Varmam थैरेपी में रिकॉर्ड सेवाएं

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Siddha Central Research Institute (SCRI), Chennai ने World Doctors’ Day 2025 पर Varmam थैरेपी के साथ 567 रोगियों को एक दिन में उपचार प्रदान कर गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड का जश्न मनाया। post

चेन्नई के अरुमबक्कम स्थित Siddha Central Research Institute (SCRI) ने 4 जुलाई 2025 को World Doctors’ Day के अवसर पर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। इस दिन SCRI की टीम ने पारंपरिक सिद्ध चिकित्सा प्रणाली की प्रमुख थैरेपी — Varmam Therapy — का उपयोग करते हुए एक ही दिन में 567 रोगियों का सफल उपचार किया। यह कार्यक्रम Central Council for Research in Siddha (CCRS) और Ministry of AYUSH के संयुक्त दिशा-निर्देशन में आयोजित किया गया।

Varmam Therapy सिद्ध प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसमें शरीर के ऊर्जा बिंदुओं (varmam points) पर खास तकनीक से दबाव डालकर दर्द, नसों की समस्या, तनाव, स्पॉन्डिलाइटिस और मस्कुलर डिसऑर्डर जैसे रोगों का उपचार किया जाता है। SCRI की इस सेवा पहल को न सिर्फ़ आम नागरिकों ने सराहा, बल्कि इसे “community-centric research and application” का बेहतरीन उदाहरण माना गया है।

SCRI के Director General, प्रो. (डॉ.) M. J. Muthukumar ने कहा कि यह सिर्फ़ एक सेवा कार्यक्रम नहीं था, बल्कि सिद्ध चिकित्सा की ताक़त को वैज्ञानिक प्रमाणों के साथ पेश करने का एक clinical trial level effort भी था। उन्होंने बताया कि इस प्रयास में देशभर से आए डॉक्टर्स, interns और स्कॉलर्स ने भाग लिया, जिससे सिद्ध पद्धति को मुख्यधारा की चिकित्सा प्रणाली में स्थापित करने की दिशा में मजबूती मिली है।

इस उपलब्धि के ज़रिए न केवल पारंपरिक सिद्ध ज्ञान की वैधता को बल मिला, बल्कि इसे आधुनिक अनुसंधान और हेल्थ पॉलिसी के स्तर पर प्रस्तुत किया जा सका। SCRI अब इस कार्यक्रम के आंकड़ों और परिणामों को अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित करने की तैयारी कर रहा है, जिससे इसे वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय भी देख सके।Siddha प्रणाली में varmam थैरेपी के इतने बड़े पैमाने पर उपयोग का यह पहला रिकॉर्डेड मामला है। CCRS और SCRI इसे एक milestone in integrated AYUSH research and care delivery मान रहे हैं। यह पहल विशेष रूप से chronic pain management, post-COVID rehabilitation और neuro-muscular issues वाले मरीजों के लिए भविष्य में clinical protocol का हिस्सा बन सकती है।