अब हर साल 23 सितंबर को मनाया जाएगा राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस
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नई दिल्ली | AYUSH World
भारत सरकार ने आयुर्वेद चिकित्सा को वैश्विक मंच पर सशक्त और संगठित रूप देने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए घोषणा की है कि अब हर वर्ष 23 सितंबर को 'राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस' मनाया जाएगा।
इससे पहले यह दिवस धनतेरस के अवसर पर मनाया जाता था, जो हर साल भिन्न-भिन्न तिथियों पर आता था। लेकिन अब यह दिवस शरद विषुव (Autumnal Equinox) — एक ऐसा दिन जब दिन और रात बराबर होते हैं — को चुना गया है, जो आयुर्वेद की आत्मा यानी संतुलन (Balance) का सटीक प्रतिनिधित्व करता है।
सरकार का उद्देश्य:
आयुष मंत्रालय के अनुसार, इस स्थिर तिथि से न केवल आयोजन की योजना में सहूलियत होगी, बल्कि आयुर्वेद को वैश्विक पहचान, वैज्ञानिक नवाचार, और जन-जागरूकता के केंद्र में लाने में भी मदद मिलेगी।
“आयुर्वेद सिर्फ एक चिकित्सा प्रणाली नहीं, यह जीवन जीने की कला है। और जब तक हम इसे वैज्ञानिक और वैश्विक स्वरूप नहीं देंगे, इसकी शक्ति सीमित रह जाएगी।”
— आयुष मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी
क्या बदला गया है?
पहले | अब |
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धनतेरस की बदलती तिथि पर मनाया जाता था | हर साल 23 सितंबर को निश्चित रूप से मनाया जाएगा |
आयोजन की तिथि निर्धारित करना कठिन होता था | अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योजना बनाना आसान होगा |
अंतरराष्ट्रीय प्रभाव:
अब जब दिनांक तय हो चुकी है, तो विश्व के 150+ देशों में आयुर्वेद दिवस को एकजुटता और नवाचार के साथ मनाया जा सकेगा। यह बदलाव भारत की soft power को स्वास्थ्य के क्षेत्र में मज़बूती देने वाला साबित होगा।
पहली बार नई तिथि पर आयुर्वेद दिवस मनाया जाएगा: 23 सितंबर 2025
AYUSH World इस अवसर पर विशेष रिपोर्ट, डॉक्टर्स की राय, नवाचार कहानियाँ और जमीनी पहलुओं को कवर करेगा।