आयुष और WHO का ऐतिहासिक समझौता: पारंपरिक चिकित्सा को वैश्विक मान्यता की ओर

Share
आयुष और WHO का ऐतिहासिक समझौता: पारंपरिक चिकित्सा को वैश्विक मान्यता की ओर post

New Delhi | AYUSH World

भारत सरकार के Ministry of AYUSH और World Health Organization (WHO) के बीच मई 2025 में एक ऐतिहासिक समझौता (MoU) हुआ है, जो भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों — Ayurveda, Yoga, Unani, Siddha, Sowa-Rigpa — को वैश्विक स्वास्थ्य संरचना में मान्यता दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

यह समझौता WHO के ICHI (International Classification of Health Interventions) framework के तहत हुआ है।

 

मुख्य उद्देश्य क्या है?

भारतीय पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को WHO के health taxonomy system में शामिल करना।

एक सॉफ्टवेयर आधारित डिजिटल मॉड्यूल विकसित करना जो इन प्रणालियों को WHO के global coding system में represent करे।

विश्व स्तर पर clinical research, reporting और insurance systems में AYUSH interventions को शामिल कराना।

 

        AYUSH मंत्री श्री सर्वानंद सोनोवाल ने कहा:

“यह MoU केवल एक काग़ज़ी समझौता नहीं, बल्कि पारंपरिक चिकित्सा के वैश्विक scientific integration की नींव है। अब आयुर्वेद और योग केवल भारत तक सीमित नहीं रहेंगे।”

 

WHO-Ayush Module kya karega?

AYUSH आधारित interventions (जैसे पंचकर्म, योगासन, औषधीय थेरैपी) को एक globally accessible software में classify करेगा।

इसे सभी WHO सदस्य देश अपने national systems में import कर सकेंगे।

ध्यान देने योग्य बात: दुनिया भर में करीब 80 करोड़ लोग पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का उपयोग करते हैं, लेकिन इनके लिए कोई universal classification system नहीं था।

भारत का यह कदम एक global standard बनाने में मदद करेगा, जिससे scientific collaborations और funding दोनों में तेजी आएगी।

 

यह रिपोर्ट WHO और आयुष मंत्रालय के संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति और Times of India की 24 मई 2025 की रिपोर्ट पर आधारित है।
पढ़ें: TOI रिपोर्ट – आयुष और WHO समझौता